बोझिल आँखों में तैरता एक जिस्म
कुछ अधनंगा सा
उमस भरी ज़िन्दगी जीने को शापित
वो, और उसका नन्हा सा
मासूम फिर भी शापित
ऐसी ज़िन्दगी जीने को।
आख़िर उनके साथ ही ऐसा क्यूँ होता है?
शायद इसलिए की वो बनाया गया था इसी खातिर
की लोग लिख सके कुछ ऐसा
जिसमे अधनंगी मासूमियत मिले
या फिर
इसलिए की
ये हमारे दिवालों पे टंगे रहे
एक साधन बन कर - मनोरंजन का।
कटेया
३:४० PM
१३/४/१९९१-१९९३
कुछ अधनंगा सा
उमस भरी ज़िन्दगी जीने को शापित
वो, और उसका नन्हा सा
मासूम फिर भी शापित
ऐसी ज़िन्दगी जीने को।
आख़िर उनके साथ ही ऐसा क्यूँ होता है?
शायद इसलिए की वो बनाया गया था इसी खातिर
की लोग लिख सके कुछ ऐसा
जिसमे अधनंगी मासूमियत मिले
या फिर
इसलिए की
ये हमारे दिवालों पे टंगे रहे
एक साधन बन कर - मनोरंजन का।
कटेया
३:४० PM
१३/४/१९९१-१९९३
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